Rani Ki Vav Patan Gujarat In Hindi :- रानी की वाव भारत के गुजरात राज्य के पाटन जिल्ले के पाटन शहेर में स्थित वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दरजा हासिल करने वाली रानी की वाव एक अद्भुत सीढ़ीदार बावड़ी है। रानी की वाव को सोलंकी शासन के राजा भीमदेव प्रथम की याद में उनकी पत्नी रानी उदयामती बनवाई थी। हाल रानी की वाव गुजरात के घूमने लायक प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है।
पाटन शहेर (पाटन जिल्ला ) गुजरात राज्य का पुरातन ऐतिहासिक शहेर अपनी उत्कृष्ट ऐतिहासिक सम्पदाओं और प्राकृतिक भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। पाटन शहेर में स्थित वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दरजा हासिल करने वाली रानी की वाव एक सीढ़ीदार खूबसूरत विश्व प्रसिद्ध बावड़ी है। जिसे देखने देश विदेश के सैलानी पूरे साल आते हैं।
पाटन शहेर की स्थापना 745 ईस्वी में की गई थी। गुजरात के तत्कालीन राजा सोलंकी राजवंश वनराज चावड़ा ने पाटन शहेर का निर्माण करवाया था। पाटन शहेर सोलंकी राजवंशों ने बसाया था। पाटन शहेर गुजरात की पूर्व राजधानी रह चुका उस समय में काफी भव्य, धनवान और समृद्ध हुआ करता था। जिसकी झलक आज भी तुम्हें पाटन शहेर में देखने को मिलेगी। पाटन शहेर में पौराणिक महेल ,जैन मंदिर, बावड़ी, झील, खंडहर, इत्यादि देखने को मिलेंगे। पाटन शहेर अपने पटोला साडी (Saree) के लिए प्रख्यात है।
पाटन पहुंचते ही सोलंकी राजवंश की समृद्धि और भव्यता का आभास प्रतीत होता है। पाटन शहेर को पहले "अन्हिलपुर" नाम से जाना जाता था। ऐ नाम यहां के राजा वनराज चावड़ा का बचपन का दोस्त अन्हिल भरवाड के नाम पर रखा गया था। क्योंकि यहां पर नगर बसाने का अन्हील भरवाड ने कहा था इसलिए।
• पाटन शहेर रानी की वाव घूमने का सही समय - Best Time To visiting In Rani ki Vav Patan
वैसे तो आप पाटन शहेर में साल में किसी भी समय जा सकते हो।
लेकिन पाटन शहेर यात्रा का सबसे अच्छा समय वर्षाऋतु के बाद और सितंबर से फरवरी में सर्दियों के महीनों में यहां का औसतन तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।
Rani ki vav patan Gujrat |
• रानी की वाव की महत्वपूर्ण जानकारी हिंदी में - Rani Ki Vav Full Information In Hindi
रानी की वाव अहमदाबाद से तकरीबन 126 किलोमीटर सरस्वती नदी के समीप पाटन शहेर में स्थित है। पाटन शहेर को सोलंकी राजाओं ने बसाया था।
रानी की वाव का निर्माण रानी उदयामति ने 10 वीं से 11 वीं सदी मैं 1022 से 1063 के करीब बनवाई गई थी।
रानी की वाव अपनीअद्भुत संरचना और बेमिसाल खूबसूरती के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
रानी की वाव एक भूमिगत संरचना है। जिसमें ऊपर से नीचे तक सीढ़ीया की श्रृंखला है। बावड़ी मैं 7 मंजिल है जिसमें चौड़े चबूतरे, मंडप, भूगर्भ कक्ष, सुरंग और दीवारों पर 500 से ज्यादा बड़ी मूर्तियां, 1000 से ज्यादा छोटी मूर्तियां बनवाई गई है।
जिसमें ज्यादातर भगवान विष्णु के दशावतार की मूर्तियां बनवाए है।
यहां भगवान विष्णु के नरसिम्हा, वामन, राम, वाराही, कृष्णा समित अन्य अवतार की मूर्तियां बनवाई गई है।
इसके अलावा भगवान गणेश, ब्रह्मा, ब्रह्माणी, कुबेर, भैरव, माता लक्ष्मी, पार्वती, सूर्य समित अन्य देवी देवता और भारतीय महिला के 16 श्रुंगार को परंपरागत काफी अच्छी तरह से उकेरा गया है। बावड़ी के अंदर नागकन्या के काफी अद्भुत प्रतिमा बनवाई गई है।
बावड़ी के सबसे नीचे पानी वाले कमरे में भगवान विष्णु शेष सैया पर लेटे हुए मूर्तियां पानी में लगवाई गई जो बहुत खूबसूरत है।
इसके अलावा खंभो पर, छत पर, दीवार पर भी काफी बारिक नक्काशी और मूर्तियां बहुत खूबसूरत है।
रानी की वाव मैं मारू-गुर्जर स्थापत्य कला काफी बारीकी से नक्काशी करवाएगी जो आज भी डिजाइनिंग के लिए पाटन के पटोला ( Saree) में उपयोग होती है।
रानी की वाव लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी के किनारे होने के कारण नदी में बाढ़ की वजह से रानी की वाव तकरीबन 700 साल तक मलबे से दबी रही।
उसके बाद तकरीबन 80 के दशक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने इस जगह की खुदाई करवाई। काफी खुदाई करने के बाद बावड़ी दुनिया के सामने आई। करीब 700 साल मलबे से दबी रही फिर भी मूर्तियां एवं शिल्पकारी काफी अच्छी स्थिति में पाए गए।
23 जून, 2014 मैं रानी की वाव को यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल में शामिल किया गया है। जो गुजरात को गर्व लेने वाली बात है।
रानी की वाव अपने कलाकृति के लिए मशहूर ऐतिहासिक धरोहर को साल 2016 में दिल्ली में हुए इंडियन सैनिटेशन कॉन्फ्रेंस मैं इस बावड़ी को "क्लीनेक्स्ट आईकॉनिक पैलेस" पुरस्कार से नवाजा गया है।
साल 2016 को भारतीय स्वच्छता सम्मेलन में रानी की वाव को सबसे स्वच्छ एवं प्रतिनिष्ठात स्थान का दर्जा मिला था।
वास्तुकला, शिल्पकला और जल संग्रह प्रणाली के नायाब नमूने रानी की वाव को जुलाई 2018 में RBI अपने ₹100 की नोट पर प्रिंट किया है।
• रानी वाव की अद्भुत बनावट - Rani Ki Vav Architecture
रानी की वाव रानी उदयामति ने अपने स्वर्गवासी पति की याद में 1063 के करीब बनवाई थी।
गुजरात में स्थित रानी की वाव 11 वीं सदी की वास्तुकला का अद्भुत बेजोड़ नमूना है। रानी की वाव मारु-गुर्जर स्थापत्य शैली में बनवाया गय है।
रानी की वाव जलप्रणाली उचित तकनीक, अत्यंत सुंदर कला जल क्षमता का बेहतरीन ढंग से प्रदर्शित करती है।
भव्य बावड़ी की संरचना भु-स्तर के नीचे निर्माण करवाया गया है।
यह बावड़ी लंबाई करीब 64 मीटर, चौड़ाई करीब 20 मीटर, बावड़ी की गेहराई 27 मीटर है। बावड़ी कुल सत्तर एकड़ क्षेत्रफल में फैली है।
दीवारों और सीढ़ियों पर अद्भुत शिल्पकार नक्काशी करवाई गई थी।
रानी की वाव में 30 किलोमीटर लंबी सुरंग है। जो सिद्धपुर निकलती है।
इस बावड़ी मैं 7 मंजिल है। हर एक मंजिल पर एक गलियारा बनवाया गया है। इस गलियारे से बावड़ी का अद्भुत नजारा देखने के लिए।
मुसाफिर चलते हुए आकर यहां पर पानी पीने के लिए रुके तो उसका सामान रखने की भी व्यवस्था की गई थी।
रानी की वाव अहमदाबाद से 126 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस बावड़ी को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।
• रानी की वाव से जुड़े कुछ रोचक तथ्य ( Facts About Rani ki vav)
- रानी की वाव जूनागढ़ के राजा रा-खेंगार की बहेन उदयामती ने अपनेेे पति के याद में बनवाई थी। पौराणिक मान्यता के अनुसार रानी उदयामती ने इस बावड़ी का निर्माण पानी की जरूरतमंद लोगो के लिए करवाया था पुण्य कमाने के लिए।
- जब यह बावड़ी बनवाई थी तब इसमें सीढ़ीयो की 7 कतारें हुआ करती थी। जिसमें से 2 अब गायब हो चुकी है।
- मारु-गुर्जर वास्तुकला में बनी अद्भुत शिल्पकारी की 2 प्रतिमा चोरी हो गई थी। जिसमें से एक भगवान श्री गणेश जी की और दूसरी ब्रह्मा ब्रह्माणी की थी।
- 7 साल मलबे के नीचे दबी रहने के बावजूद भी बावड़ी की नक्काशी एवं मूर्तियां एकदम अच्छी हालत में है। आज भी देखे तो ऐसा लगता है के अभी-अभी बन के तैयार हुई है।
- रानी की वाव अपनी खूबसूरती नक्काशी मूर्तियां एवं वास्तुकला के लिए जानी जाती है। इसीलिए रानी की वाव को कई सारे अवार्ड और विश्व विरासत का दर्जा भी मिला है।
- सात मंजिला बावड़ी में हर एक मंजिल पर एक गलियारा रखा गया है वहां से पूरी बावड़ी का अद्भुत नजारा देख सकते हो।
- रानी की वाव को गुजरात के स्थानीय लोगों "राणकी वाव" के नाम से जानी जाती है।
- इस बावड़ी की देखरेख भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा की जाती है। बावड़ी के बाहर एक आलीशान गार्डन भी है।
• पाटन शहेर के पटोला और नजदीकी पर्यटन स्थल - Best Tourist Places Patan Gujarat In Hindi
पाटन जिल्ला प्रख्यात है अपनी उत्कृष्ट प्राचीन वास्तुकला और प्राचीन सौंदर्य के लिए मशहूर पाटन में कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल मौजूद हैं। जैसे कि सहस्त्र लिंग तालाब, खान सरोवर, जैन तीर्थ स्थल के मंदिर, रूद्र महालय मंदिर, पाटन सिटी, म्यूजियम इत्यादि घूमने लायक पर्यटन स्थल है। पाटन शहेर पाटन जिल्ले में स्थित सोलंकी राजाओं ने बसाया था पाटन शहर गुजरात की पूर्व राजधानी रह चुका शहर है जो काफी भव्य और बहुत सुंदर है पाटन शहर यहां का वास्तुकला शिल्पकला और पटोला के लिए फेमस है।
पाटन शहेर को पहले "अन्हिलपुर" के नाम से जाना जाता था। पाटन शहेर के खूबसूरत पर्यटन स्थल इतिहास और एडवेंचर प्रेमी दोनों के लिए ही महत्वपूर्ण हैं।
1.पटोला (साडी) Saree
पाटन शहेर के पटोले (साडी )विश्व विख्यात है। पटोले की डिजाइनिंग के लिए नक्शा रानी की वाव की नक्काशी में से लिया जाता है।
पटोले बनाने में सोने के तार चांदी के तार और रेशम का उपयोग किए जाते हैं इसीलिए पटोला की कीमत हजारों में नहीं बल्कि लाखों में होती है।
पहले के टाइम में बहुत सारे लोग पटोले बनाते थे। लेकिन आज पाटन शहेर में केवल गिने-चुने परिवार ही पटोला बनाते हैं।
2. सहस्त्र लिंग तालाब( झील)
सहस्त्र लिंग तालाब पाटन शहेर के उत्तर पश्चिम में सरस्वती नदी के किनारे स्थित है।
गुजरात के राजा सिद्धराज जयसिंह इस तालाब का निर्माण करवाया था जो अभी सुखा है। इस पष्टकोण आकार में बना तालाब में 42 लाख 6500 क्यूबिक लीटर पानी की क्षमता है। सत्तर हेक्टर विस्तार के लिए पानी का समावेश कर सकते हैं।
यहां पर भगवान शिव के कई सारे मंदिर एवं खंडहर भी है जिसकी वजह से पर्यटन का पसंदीदा स्थान है।
इस तालाब की कहीं सारी दंत कथाएं प्रचलित है। दंतकथा अनुसार सहस्त्र लिंग तालाब जस्मिन ओर्डे नाम की महिला द्वारा शापित है। इस महिला ने सिद्धराज जयसिंह के साथ विवाह करने से इनकार कर दिया था।
ओर्डे जाति की जस्मिन और उसका पति यहां पर दिहाड़ी मजदूर थे।
3. जैन तीर्थ स्थल - जैन मंदिरों Jain tirth temple
पाटन शहेर में सबसे ज्यादा जैन मंदिर देखने को मिलेंगे। यहां का मुख्य मंदिर पंचासरा पार्श्वनाथ जैन तीर्थ स्थान है।
इस मंदिर की भव्यता बहुत सुंदर है यह पूरा मंदिर संगमरमर आरस के पत्थर से और लाल पत्थर से बनवाया गया है। इस मंदिर पर नक्काशी बहुत बारीकी से की गई है।
पंचासरा मंदिर के चारोंओर संगमरमर से बने हुए मंदिरों की कतारे है।
4. खान सरोवर Khan sarovar
गुजरात के तत्कालीन गवर्नर खान मिर्जा अजीत कोका ने खान सरोवर 1886 से 1889 के बीच बनवाया था।
कई सारी इमारतें और खंडहर से पत्थर लेकर इस सरोवर का निर्माण करवाया गया था।
खान सरोवर झील एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है।
जिसकी ऊंचाई 1228 से 1288 फुट तक की है। सरोवर की चारोऔर पत्थर से सीढ़ीया बनवाए गए हैं।
इस झील के किनारे कई सारे पर्यटन अपना टाइम व्यतीत करते हैं।
इस झील पर आपको एकदम शांत माहौल दूर-दूर तक पानी और झील के किनारे लगेे पेड़ मनमोहक है।
इसके अलावा पाटन शहर में कहीं सारे ऐतिहासिक पर्यटन स्थल भी है। जिसमें से ओल्ड पाटन इत्यादि देख सकते हो।
पाटन शहर कैसे पहुंचे....?
पाटन शहेर गुजरात के वर्ल्ड हेरिटेज साइट के लिए प्रख्यात रानी की वाव और पुराने शहरों में से एक महत्वपूर्ण पाटन शहर अपने पर्यटन स्थलों के लिए प्रख्यात है। गुजरात का महत्वपूर्ण शहर पाटन शहर पहुंचने के लिए हवाई मार्ग रोड मार्ग और रेलवे के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं।
Patan City Gujarat |
हवाई मार्ग द्वारा :- पाटन शहेर पहुंचने के लिए यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा अहमदाबाद शहेर में सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डा है। पाटन शहेर से अहमदाबाद की दूरी 126 किलोमीट है।
रेल मार्ग द्वारा :- पाटन शहेर का खुद का जंक्शन है जो पाटन शहेर के केंद्र में स्थित है। जंक्शन रेल मार्ग द्वारा अन्य बड़े शेहरों से कनेक्ट है।
सड़क मार्ग द्वारा :- पाटन शहेर पहुंचने के लिए नियमित सरकारी एवं प्राइवेट वोल्वो बस अन्यथा आप अपना पर्सनल व्हीकल लेकर आ सकते हो।
रुकने के लिए पाटन शहेर में होटल रेस्टोरेंट्स गेस्ट हाउस धर्मशाला मिल जाएगी।
या तो आप अहमदाबाद में रुक सकते हो।