Sana Buddhist Caves In Hindi Information, शाणा गुफाएं (साना गुफाएं) गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र मैं गिर सोमनाथ जिल्ले मैं वांकीया गांव से कुछ दूरी पर स्थित है। इसीलिए शाणा गुफाओं को "शाणा वांकिया" भी कहा जाता है। शाणा वांकिया उना से तकरीबन 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हरी-भरी पहाड़ियां और तुलसी श्याम जंगल रेंज के आखिरी छोरे पर स्थित है।
Sana Buddhist Caves |
साना बुद्धिस्ट गुफाओं के बारे में जानकारी हिंदी में Sana Buddhist Caves Informetione in Hindi
शाणा पर्यटन स्थल एक पहाड़ों की श्रुंखला है। इन सभी पहाड़ों में तकरीबन 360 बुद्धिस्ट गुफाएं सामिल है। इनमें से आज 62 जितनी गुफाएं देखने लायक है। कुछ गुफा खंडार और कुछ गुफा को सील कर दिया गया है। डूंगर (पहाड़) को काटकर स्तंभ, स्तूप, बेच, चैत्य, विहार, कुएं, एक स्तंभित हॉल, और विभिन्न प्रकार के गुंबद है।
साना गुफाओ का निर्माण उसे पठार के तीन ढलानो पर करवाया गया था। जो ऊंचे स्थान के पश्चिम सिरे पर रूपेण नदी का पानी नीचे वाली ढलान पर है। इन गुफाओं का निर्माण सम्राट अशोक द्वारा सौराष्ट्र शासन काल दौरान हुआ था। गिरनार पर्वत की चट्टान पर अशोक शिलालेख, जूनागढ़ गुफाएं, साना गुफा, सोमनाथ, तलाजा, इसके अलावा गुजरात में कई सारे बुद्धिस्ट स्थल है। शाणा गुफाओं का समय प्रथम ईसा पूर्व से (BC) से लेकर प्रथम शताब्दी ईस्वी तक (AD) के बीच का माना जाता है।
इस समय के दौरान साना के पहाड़ों में तकरीबन 62 से अधिक गुफाएं पत्थर को काटकर बनवाए गई थी जिसका समय दूसरी ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी इसवी तक का माना जाता है। (2nd BC to 2nd AD)
शाणा डूंगर पर तकरीबन 62 से अधिक गुफाओं की एक श्रृंखला है। एक गुफा से दूसरे गुफा तक पहुंचने के लिए सभी गुफाओं को पत्थर के पहाड़ को काटकर सीढी़या की एक पगडंडी के सहारे जोड़ा गया है। इनमें सबसे बड़ी गुफा अेभल मंडप है। 22 मीटर लंबाई 20 मीटर चौड़ाई 5 मीटर गहराई, ऊंचाई है। इसके अलावा शाणा डूंगर में भीम की चोरी, भीम का मांडवा, गांधारी महेल गुफा, हाथी खाना, गजिबों, शिवलिंग गुफा, कुंती महेल, 3 पानी के कुए, विहार, सभामंडप, और कहीं सारी सुरंगे गुफा के अंदर से दूर दूर तक फैली है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में पांच पांडवों को जब वनवास मिला था। तब वह वनवास के दौरान कुछ समय यहां पर रुके थे। उसी दौरान ए गुफा का निर्माण किया गया था। इसीलिए मौजूद सभी गुफाएं का नाम पांडवों के अनुसार रखा गया है। यह पूरा इलाका हिडिंबा वन के नाम से जाना जाता है। इसी स्थान पर भीम और हिडिंबा का विवाह हुआ था।
एक डूंगर के ऊपर कुछ ही दूरी पर एक बड़ी गुफा मैं चारमढ वाली माता विराजमान है। पंचमुखी हनुमानजी, भूतड़ा दादा, पौराणिक शिवलिंग, और अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित है। इस मंदिर के आंगन से पर्यटन प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नजारा और सभी पहाड़ों में बनी पुरानी गुफाएं देख सकते हैं। चारमठ वाली माताजी के मंदिर के समीप और सामने के पहाड़ पर रहस्यमई 3 कुएं मौजूद है जिसमें आज तक पानी समाप्त नहीं हुआ है।
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• शाणा डूंगर में देखने लायक
शाणा डूंगर मैं हरे-भरे पहाड़ों मैं प्रथम ईसा पूर्व की गुफाओं की प्राचीन नगर रचना और पौराणिक विभिन्न प्रकार की गुफाओं, चारमढ वाली माता का मंदिर दर्शनिय है।
शाणा डूंगर पहाड़ों के समीप एक बहुत बड़ा शाणा डैम है। डैम के चारों ओर दूर-दूर तक बड़े-बड़े पहाड़ों के साथ जंगल और सूर्यास्त का अद्भुत नजारा पर्यटन को अपनी ओर आकर्षित करता है।
शाणा डूंगर के आंगन में ढलान पर डैम की गोद में एक बड़ा कमल कुंड मौजूद है। इस कुंड में साल के 12 महीनो कमल फूल खिले रहते हैं।
शाणा डूंगर वॉच टावर (सेल्फी प्वाइंट) से पर्यटन प्राकृतिक जंगल सांस्कृतिक और पौराणिक सभ्यता का नजारा देखने का आनंद ले सकते हैं।
शाणा डूंगर के ऊपर से डेम और दूर-दूर तक फैला रूपेण नदी का पानी, पहाड़, हरे भरे खेत खलियान, सूर्योदय और सूर्यास्त का अद्भुत नजारा देख सकते हैं।
शाणा डूंगर को गुजरात टूरिज्म द्वारा आर्टिफिशियल जिक जैक रोड, सेल्फी प्वाइंट, वॉच टावर , ग्राउंड, गजीबो, पर्यटन को बैठने के लिए बेंच और आलीशान चबूतरे लगवाए गए
यहां पर रुकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है गेस्ट हाउस क काम अंडर कंस्ट्रक्शन में है।
• शाणा डूंगर के नजदीकी पर्यटन स्थल
शाणा डूंगर से तकरीबन 2.5 किलोमीटर की दूरी पर खड़िया धाम मौजूद है। खड़िया धाम मंदिर गुजरात का एकमात्र मंदिर है। जो पिरामिड आकार में पूरी तरह बांस से बना है। यह मंदिर माता मेलडी को समर्पित है। मंदिर के बिल्कुल सामने मामा देव (भूतड़ा दादा) का मंदिर मौजूद है। यहां पर पहुंचने के लिए पहाड़ और जंगल में पैदल यात्रा (ट्रैकिंग) करके पहुंचा जा सकता है। खड़िया धाम पैदल यात्रा के दौरान पर्यटन प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ जंगली जानवर भी देख सकते हैं।
खड़िया धाम प्रकृति की गोद में गाढ जंगल और वैली के बीच में बचा है। प्रकृति प्रेमी के लिए स्थान किसी जन्नत से कम नहीं है। पैदल यात्रा के दौरान जंगली जानवर के दर्शन भी हो सकते हैं। जैसे कि हिरण, चित्तल, नीलगाय, सफेद धारीदार हाइनास, जंगली सूअर, इत्यादि
यह मंदिर जंगल में होने की वजह से वर्षा ऋतु के बाद आप यहां पर कभी भी आ सकते है। यहां आने का समय सुबह 8:00 से शाम के 4:00 बजे तक का है। यहां पर रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है इसीलिए शाम ढलने से पहले जंगल के बाहर निकल जाए
Khadiya Dham |
• साना डूंगर कैसे पहुंचे How is Sana Dungar
शाणा डूंगर और खड़िया धाम पहुंचने के लिए सबसे नजदीक एयरपोर्ट राजकोट दीव और केशोद है। रेलवे मार्ग पर यहां का सबसे नजदीकी जंक्शन बर्फटाना (राजुला) और देलवाड़ा फंक्शन है। एयरपोर्ट और जंक्शन से टिंबी तक सरकारी एवं प्राइवेट बस मिल जाएगी। अन्यथा अन्य व्हीकल रेंट पर ले सकते हैं।
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