Girnar Hills Junagadh Gujarat Biggest Mount Girnar Ropeway In Hindi Information गिरनार पर्वत की हिंदी में जानकारी

Girnar Hills Tourist Places In Hindi :-  गिरनार पर्वत घूमने की लिहाज से गुजरात राज्य का सबसे बड़ा पर्वत है और गिरनार पर्वत गुजरात का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन स्थल है। गिरनार पर्वत जूनागढ़ सिटी के पास स्थित एक पवित्र पर्वतमालाओ की एक श्रृंखला है।  

जिसमें मुख्य 5 पर्वत है। जैसे कि गोरखनाथ टुंग 3600 फिट, अंबाजी टुंग 3381 फीट, गोमुखी शिखर 3120 फिट, जैन तीर्थ शिखर 3300 फिट, माली परब 1800 फिट ऊंचा है।

कुदरती सौंदर्य से हरा-भरा पवित्र गिरनार पर्वतमाला की श्रृृंखला और हिंदूधर्म, जैनधर्म,  मुस्लिमधर्म के तकरीबन 1800 से अधीक छोटे-बड़े मंदिर है। 
हिंदूधर्म में भगवान शिव और मां अंबा का मंदिर मुख्य है।
जैनधर्म में मल्लिनाथ और 22 में तीर्थंकर नेमिनाथ का मंदिर मुख्य है और संगमरमर से बने हुए 16 मंदिर दर्शनीय है। विभिन्न धर्मो और खूबसूरत मंदिर के साथ गिरनार दर्शन देवताओं को भी यह दृश्य दुर्लभ है।

गिरनार पर्वत पर एक शिखर से दूसरे शिखर पर जाने के लिए इ.सन् 1150 के करीब राजा कुमारपाल ने 10,000 जितनी पत्थरों की सीढ़ियाँ बनवाई है।
Girnar-junagadh-Gujarat
Girnar-junagdh-Gujarat


• जूनागढ़ गिरनार के प्रमुख पर्यटन स्थल - Best Tourist Attraction in Junagadh

जूनागढ़ और गिरनार पर्वत पर पर्यटक पौराणिक एवं धार्मिक कई सारे दर्शनीय स्थान पर घूम सकते हैं। जैसे कि जूनागढ़ का किला, मोहब्बत मकबरा, अशोक शिलालेख, सासन गिर नेशनल पार्क, सक्करबाग, अड़ी कड़ी वाव, नौवघन कुआं, पौराणिक बौद्ध गुफाएं, सुदर्शन तलाव, दामा कुंड, अंबाजी मंदिर, गुरु दत्तात्रेय मंदिर इत्यादि जगहों पर घूमने का आनंद ले सकते हैं।
इसके अलावा गिरनार रोपवे, लिली परिक्रमा, भावना जी का मेला का भी आनंद उठा सकते हैं।

 

1. गिरनार रोपवे (उड़न खटोला ) Girnar Ropeway 

2020 मैं गिरनार पर्वत पर एशिया का सबसे बड़ा रोप-वे का निर्माण किया है। ताकि भक्तों, श्रद्धालुओ को दर्शन करने में दिक्कत ना हो। इस रोपवे मैं पर्यटक तकरीबन ₹700 में रोप-वे की सवारी कर सकते है। और गिरनार के अद्भुत दृश्य देख सकते हो।
या तो आप यहां के पालकी सवारी भी कर सकते हो लेकिन वह कोस्ट में थोड़ा महंगा है।

गिरनार रोप-वे की ज्यादा जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें 

2. जूनागढ़ गिरनार पर्वत की लिली परिक्रमा - Girnar Lili Parikrama

जूनागढ़ के गिरनार पर्वत की गोद में लिली परिक्रमा हर साल कार्तिक शुद अग्यारस के दिन परिक्रमा शुरू होती है, और कार्तिक पूर्णिमा के दिन समाप्त होती हैं। लिली परिक्रमा 5 दिन की होती है। लिली परिक्रमा का महत्व पुराने समय से है इस परिक्रमा में सौराष्ट्र गुजरात और अन्य राज्य के लोग देश-विदेश के लाखों लोग और साधु-संतों, नागा साधु बहुत बड़ी संख्या में आते हैं।
लिली परिक्रमा भवनाथ तलहटी से शुरू होकर भवनाथ तलहटी पर खत्म होती है। लिली परिक्रमा 36 किलोमीटर केवल जंगल में होती है। लिली परिक्रमा में गिरनार पर्वत पर चढ़ना नहीं होता है केवल गिरनार तलेटी में गिरनार को चक्कर लगाना होता है। लिली परिक्रमा दौरान जंगल में अलग-अलग स्थान पर अन्नक्षेत्रों, चाय, पानी,और रुकने की व्यवस्था की जाती है। जो बिल्कुल फ्री है।
पहले केवल साधु संत ही इस परिक्रमा को किया करते थे लेकिन अब सारे संसारी लोग भी करने लगे हैं।
लिली परिक्रमा गिरनार के जंगल में होने से लोगों को बहुत शांति फील होती है। लिली परिक्रमा के दौरान बड़े पहाड़ जंगल झरने इत्यादि देख सकते हो और कुदरती सौंदर्य का आनंद उठा सकते हो। एडवेंचर के शौकीन लिली परिक्रमा के दौरान गिरनार पर्वत और गिरनार घाटी का नैसर्गिक सौंदर्य  निहारने आते है।

3. भवनाथजी का मेला जूनागढ़ - Bhavnath Mela Girnar 

भवनाथ का मेला भवनाथ तलहटी में भगवान शिव के मंदिर के प्रांगण में होता है।
भवनाथ मेले को महाशिवरात्रि का मेला भी कहते हैं।
इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
भवनाथ मेले में भजन कीर्तन और भांग का बहुत बड़ा महत्व है।
Girnar-junagadh
Bhavnath temple junagdh 


• गिरनार का इतिहास - Girnar History

गिरनार अति प्राचीनकाल से स्थित है, गिरनार पर्वत हिमालय पर्वत से भी पुराना है। Gir National Park गिरनार के जंगल में ही बसा है।
गिरनार पर्वत के पुराने नाम , उज्जयंत,  रैवत, कुमुद, इत्यादि नाम से जाना जाता था। गिरनार में ऐतिहासिक धरोहर की बात करें तो ऊपरकोट किला, अड़ी कड़ी वाव, नौवघन कुआं, अशोक अभिलेख, सुदर्शन तलाव, और कहीं सारे ऐतिहासिक जगहों देख सकते हैं।

1. ऊपरकोट किल्ला जूनागढ़ की ऐतिहासिक धरोहर - Uparkot Fort Best Tourist Attraction in Junagdh 

ऊपरकोट किल्ला पौराणिक मान्यता के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य ने ईसा पूर्व 300 में इस ऐतिहासिक किले का निर्माण करवाया था।
2300 साल में इस किल्ले पर कई सारे राजाओं ने अपने शासनकाल राज किया है।
चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक, रा नवघण, रा खेंगार, जैसे शूरवीरो की तलवारे इस राज महल और जूनागढ़ रियासत में खनकती थी। बाद में मुस्लिम शासको ने भी जूनागढ़ रियासत पर शासन किया था जिसमें पैगड़ा, तुगलक, मुगल, ओर बाबी, प्रमुख थे।

पाटन के राजा सिद्धराज जयसिंह ने जूनागढ़ पर चढ़ाई की और जूनागढ़ को फ़तेह किया। उसके बाद राणक देवी महेल को मुस्लिम शासकों ने मस्जिद में तब्दील कर दिया।

इस अभेदिय किल्ले को भेदना मुश्किल ही नहीं लेकिन ना मुमकिन है। इस किले के ऊपर दो बड़ी तोप को रखी है जिसका नाम है। नीलम और माणेक जो दीव(Diu) से लाई गई थी।

अड़ी-कड़ी वाव(Adi kdi vav) और नवघन कुआं जो गुजरात में और कहीं ऐसा निर्माण नहीं देखने को मिलता। नवघण कुआं 1026 में बनवाया गया था और अड़ी-कड़ी वाव 15 वीं शताब्दी में बनाई गई थी।
ऊपरकोट में एक बड़ा वेयर हाउस(Storage) बनवाया गया था जिसमें सालों तक अनाज और कठोर को संग्रह किया जाता था।
ऊपरकोट में सम्राट अशोक के समय में कई सारे बौद्ध गुफाएं बनवाए गई थी।  हजारों सालों से इतिहास बयां कर रही है।

17 वी सदी  मैं जूनागढ़  बाबी  मुस्लिम के  शासन में चला गया था और नवाब का खिताब धारण कर के  1947 तक राज किया था ऊपरकोट किल्ले का आखरी नवाब महाबत खान था। 
Mahabat maqbara junagdh
Mahabat maqbara junagdh 

2. अभिलेख शिलालेख( stone writing) 

  • जूनागढ़ पर्वत पर ऊपरकोट और दामाकुंड के समीप पत्थर पर शिलालेख अंकित करवाया गया था।
  • शिलालेख राजा।                      लिपि।            भाषा। 
  • सम्राट अशोक                           - ब्राह्मी।         - पाली
  • महा क्षत्रप रूद्रदामा।                  - ब्राह्मी।         - संस्कृत
  • स्कंद गुप्त।                               - ब्राह्मी।         - संस्कृत

3. सुदर्शन तलाव( झील) Sudarshan pond 

सुदर्शन झील ईसा पूर्व 302 में चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा निर्माण करवाया गया था।
सुदर्शन झील भवनाथ से कुछ ही दूरी पर स्थित है।सुदर्शन झील काफी पौराणिक और मानव उपयोगी है।
कुछ साल बाद सम्राट अशोक के इस झील में नैहरे लगवा कर सौराष्ट्र प्रांत को पानी की व्यवस्था पूरी की थी।
अतिवर्षा के कारण सुदर्शन झील कितनी बार खंडक हुई है। और कितनी बार नवनिर्माण भी हुई है।

शासक।                   - सुबो।                        - कार्य

चंद्रगुप्त मौर्य।        पुष्पक गुप्त वैश्य ।     सुदर्शन झील 
                                                            का निर्माण 

सम्राट अशोक।      तूसाषफ।                झील का                                                                     नवीनीकरण                                                                  नहरों का निर्माण
रुद्रदामा।              सुविशाख।                नवीनीकरण।

स्कंद गुप्त।            पूर्णदत                    नव निर्माण

आज भी सुदर्शन झील लोगों की सेवा में और एकदम शांत माहौल मैं जंगल के  गोद में स्थित है।


• जूनागढ़ मैं रुकने की व्यवस्था - How To Stay In Junagadh

जूनागढ़ सिटी में रुकने के लिए भावनाथ तलेटी के आसपास कितने सारे होटल्स, 5 स्टार होटल्स, धर्मशाला, गेस्ट हाउस , रेस्टोरेंट्स, अपने बजट के हिसाब से मिल जाएंगे।

यहां पर खाने के लिए गुजराती एवं काठियावाड़ी डिश एक बार जरूर ट्राई करें।
और यहां का फेमस कावा जरूर ट्राई करें, कावा को कई सारे जड़ी बूटियां मिला कर पीतल के बर्तन में घंटों तक उबालकर बनाया जाता है, जो शरीर के लिए बहुत फायदा कारक है।

• जूनागढ़ गिरनार कैसे पहुंचे - How To Reach Junagadh


By Air - हवाई मार्ग

जूनागढ़ सिटी का  खुद का कोई हवाई अड्डा नहीं है।  यहां का नजदीकी एयरपोर्ट केशोद है लेकिन वहां की कनेक्टिविटी अच्छी नहीं है।
इसलिए आप, दीव एयरपोर्ट पर सफर कर सकते हो जो मुंबई से कनेक्ट है। रोजाना दीव टू मुंबई फ्लाइट उडान भर्ती हैं।

या तो आप राजकोट एयरपोर्ट से आ सकते हो।
यहां से आप गवर्नमेंट बस या तो वोल्वो बस से आसानी से पहुंच सकते हो।

जूनागढ़ से राजकोट 102 किलोमीटर
जूनागढ़ से दीव 141 किलोमीटर

By Railway - ट्रेन द्वारा

जूनागढ़ सिटी का खुद का रेलवे जंक्शन है जो देश के अन्य राज्यों के साथ जुड़ा हुआ है।

भारतीय रेलवे रूट में पश्चिमी रेलवे रूट में आता है।
रोजाना एक्सप्रेस एवं लोकल ट्रेन इस रूट पर चलती है।

यहां का सबसे नजदीकी जंक्शन, सोमनाथ वेरावल, जूनागढ़ ,देलवाड़ा ,उना, यहां से भी आप आसानी से पहुंच सकते हो।

By road - रोड मार्ग 

जूनागढ़ रोड मार्ग गुजरात के अन्य बड़े शहरों से अच्छी तरह से कनेक्ट है।     महाराष्ट्र गुजरात एवं राजस्थान मध्य प्रदेश के साथ अच्छी तरह से कनेक्ट है।
सरकारी एवं वॉल्वो बस से या तो आप अपना कोई लोकल व्हीकल लेकर भी आ सकते हो।

दीव।          141 किलोमीटर
राजकोट।    102 किलोमीटर
पोरबंदर।     115 किलोमीटर
सोमनाथ     94    किलोमीटर

अगर आप सौराष्ट्र की धरती पर प्राकृतिक खूबसूरती एवं भक्ति का एहसास करना चाहते हैं। तो एक बार जूनागढ़ जरूर आना चाहिए।

सौराष्ट्र की धरती ,संत ,सुरा ,सावज ( शेर) की धरती है।

Adi kdi vav Girnar
Adi kdi vav




Adi kdi vav junagdh
Adi kdi vav junagadh 

Navghan kuva junagadh
Navghan kuva 


Buddhist caves junagadh
Buddhist caves junagadh 

Buddhist caves junagadh
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