Kutch Tourist Places In Hindi :- पूरी दुनिया में कच्छ जैसा स्थान और कहीं नहीं है। कच्छ भारत के मुख्य घूमने लायक पर्यटन स्थलों में से एक है। कच्छ यानी के गुजरात की पहचान, कच्छ को रंगों का सैलाब भी कहते है। यहां पर आपको विभिन्न प्रकार की इको सिस्टम और जैव विविधता देखने को मिलेगी। दूर-दूर तक फैली सफेद रेत की सादर उस पर खिला चांद कच्छ का यह नजारा किसी जन्नत से कम नहीं है जो केवल कच्छ के सफेद रण में देखने को मिलता है।
कच्छ भारत का सबसे बड़ा जिला है। कच्छ जाना जाता है, यहां के सफेद रण प्राकृतिक सौंदर्य, पुरानी सभ्यता, संस्कृति, वास्तुकला, हस्तकला, समुद्री तट, मंदिर, तालाब, और अरब सागर दूसरी ओर रण विस्तार पहाड़ों अखातो और भूकंप के लिए। अगर आप गुजरात आए और कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा.....
कच्छ का पूरा इलाका दूर-दूर तक रेगिस्तानी और दिलदलिय विस्तार है इसीलिए यहां पर आपको विभिन्नता देखने को मिलेगी। और साथ-साथ यहां का रहेन-सहेन भी अलग है। यहां के जत समाज के हाथों का भरत काम एकदम बारीक होता है। यहां पर आपको घर तंबू टाइप ( बुंगा ) देखने को मिलेगा जो आज कच्छ की पहचान बन चुके हैं।
• कच्छ के खूबसूरत घूमने लायक पर्यटन स्थल - Best Tourist Places In kutch In Hindi
कच्छ प्रख्यात अपने खूबसूरत वाइट चरण के लिए लेकिन कच्छ में इसके अलावा आप कहीं सारे खूबसूरत पर्यटन स्थल धार्मिक एवं ऐतिहासिक जगहों पर घूम सकते हैं। कच्छ में आप सफेद रण, खड़िया ध्रो, प्राग महेल, मांडवी बीच, विजय विलास पैलेस, धोलावीरा, घुड़खर वन्य जीव अभ्यारण, नारायण सरोवर, कालो डूंगर, कच्छ म्यूजियम, लखपत किला, कोटेश्वर महादेव, भुजियो डूंगर इत्यादि जगहों पर घूमने आते हैं, या फिर आने वाले है। तो एक बार हमारे आर्टिकल जरूर पढ़ें और कच्छ में घूमने का आनंद ले सकते हैं।
1. कच्छ का प्रख्यात पर्यटन स्थल सफेद रण (व्हाइट रण) - The Great Rann Of Kutch white desert
कच्छ का सफेद रण (white desert ) "द ग्रेट रन ऑफ कच्छ" यह दुनिया का सबसे बड़ा नमक का सफेद रेगिस्तान है।
यह रण 23000 वर्ग किलोमीटर में फैला है जो पाकिस्तान और सिंधु नदी राजस्थान के थार रेगिस्तान से जुड़ा हुआ है। यहां पर आपको अलग-अलग इकोसिस्टम देखने को मिलेगी। बारिश के मौसम में समुद्र तल से 15 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस रण में समुद्र का पानी भर जाता है। और ठंडी का मौसम आते आते पूरी तरह से सूख जाता है।
सफेद रण का बेस्ट सीजन होता है ठंडी का मौसम ठंडी के मौसम में गुजरात टूरिज्म द्वारा यहां पर हर साल रणउत्सव मनाया जाता है। " ग्रेट रण ऑफ कच्छ " फेस्टिवल 1 नवंबर से शुरू होकर 20 फरवरी तक लगभग 106 दिन तक चलता है। इस फेस्टिवल में पूरी दुनिया से लाखों की संख्या में पर्यटन इस रण को देखने के लिए आते हैं। पूर्णिमा के दिन फुलमून और सफेद रण का यह नजारा देखना सौभाग्य की बात है।
रण उत्सव मैं यहां का स्थानीय लोकल डांस, म्यूजिक शो, पैरामोटरिंग, राइफल शूटिंग, स्टार गेजिंग, कैमल राइट्स, हॉर्स राइट्स, लोकल आर्ट्स, स्थानीय डिशेस, गुजरात के कलरफुल लोग और कच्छ का कल्चर इस सफेद रेगिस्तान को और भी खूबसूरत बना देता है।
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Rann of Kutch |
यहां पर रुकने के लिए हजारों की संख्या में टेंटसिटी की व्यवस्था की गई है।
क्षेत्र के आसपास के गांव में ऑफिशियल रिसोर्ट मिल जाएंगे जो कच्छ की " बूंगा " के आधार पर डिजाइनिंग की गई है।
अगर आपको बजट के हिसाब से रहना है तो भुज शहर में 1500 से 2000 में होटल्स मिल जाएगी
2. काड़िया ध्रो कच्छ का न्यू पर्यटन स्थल (kadiya dhrow kutch tourist places in Hindi
कड़िया ध्रो कच्छ के प्राकृतिक खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है। कड़िया ध्रो 2021 मैं विश्व के 52 प्राकृतिक देखने लायक पर्यटन स्थल में तीसरा स्थान प्राप्त करने वाला भारत का अति खूबसूरत पर्यटन स्थल है। यहां पर्यटन स्थल की खोज कुछ समय पहले ही हुई है। द टाइम्स ऑफ न्यूयॉर्क में फ्रंट पेज पर स्थान प्राप्त करने के बाद दुनिया में इस क्षेत्र की पहेचान मिली है।
काडी़या ध्रो के बारे में संपूर्ण जानकारी..>>
3. कच्छ का पौराणिक स्थान प्राग महेल - Historycal Place Prag Mehal In Kutch
प्राग महेल यानि के भुज का गौरव इटालियन स्टाइल में बना यह महेल "महाराज प्राग बीजा" द्वारा निर्माण किया गया था। इस महेल की डिजाइन अंग्रेज विलकिंस द्वारा करवाई गई है। बाहर से देखने पर यह महल बिल्कुल सर्च जैसा दिखता है।लगभग इसवी सन् 1860 से 1875 के बीच में निर्माण हुआ है निर्माण के लिए पत्थर कच्छ के अंधो क्षेत्र से लाए गए थे। संगमरमर के पत्थर की दीवारें, चाइनीस मोचक स्टाइल की फर्श, इटालियन डिजाइन, शिल्पकारी, और एक 48 मीटर ऊंचाई वाला क्लॉक टावर भी बनवाया गया है। यहां घड़ियाल गुजरात की सबसे बड़ी घड़ियाल है। ऊपर के फ्लोर पर पांच बड़े घंटे लगवाए गए हैं जो इंग्लैंड से मंगवाए गए थे घड़ियाल के लोलक के लिए 3 बड़े वजनिया लगवाया गया है जिसका कुल वजन 680 किलो है।
2001 में आए भूकंप में इस महल को काफी नुकसान जेलना पड़ा था बाद में इस महल की थोड़ी बहुत मरम्मत करवा दी गई है।
प्राग महेल बाहर से भी एकदम सुंदर है। और अंदर तो बहुत ही अद्भुत शिल्पकारी है इसे देखने दूर-दूर से पर्यटन यहां पर आते हैं आज इस महल में दरबारगढ़ यानी के सभागृह में पर्यटन को जाने की अनुमति है जिसमें आप पुरानी चीज वस्तुएं देख सकते है।
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Prag mahel Bhuj Kutch |
4. कच्छ का फेमस मांडवी बीच - famous Mandvi Beach In Kutch
मांडवी बीच देश का एकमात्र प्राइवेट बीच हैं। सफेद रेत दूर-दूर तक फैले समुद्र का ब्लू पानी, ठंडी हवा और किनारे लगाई गई पवनचक्की ( विंड फार्म ) ऊपर नीला आसमान का यह नजारा बहुत ही सुंदर है। मांडवी बीच गुजरात ही नहीं बल्कि पूरे भारत में प्रख्यात है अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है।
मांडवी बीच प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर तो है ही और साथ-साथ यहां पर शांति भी बहुत हैं। यहां पर आप बोटिंग, स्विमिंग, वॉटर स्पोर्ट का आनंद ले सकते है और समुद्र के किनारे हॉर्स राइडिंग कैमल राइडिंग बाइक राइडिंग इत्यादि गतिविधियां कर सकते है। एडवेंचर के शौकीन मांडवी बीच पर सूर्योदय और सूर्यास्त का अद्भुत नजारा देख सकते है और कैमरे में कैद कर सकते है।
मांडवी बीच में पतंग महोत्सव (काइट्स फेस्टिवल) बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यहां पर बड़े-बड़े और रंग बिरंगी पतंगों के साथ अलग-अलग डिजाइनिंग वाली पतंगों से पूरा मांडवी बीच और आकाश रंगो से भर जाता है।
मांडवी बीच के किनारे खाने पीने के लिए काफी सारे रेस्टोरेंट्स अवेलेबल है। कच्छ की स्पेशल "कच्छी दाबेली" का स्वाद भी ले सकते है।
यहां पर 4000 साल पुरानी शिपयार्ड है जो आज भी छोटे बड़े जहाज बनाती है।
भारत में हनीमून मनाने के 10 सबसे खूबसूरत रोमांटिक हनीमून डेस्टिनेशन >>
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Mandvi Beach Bhuj Kutch |
5.ऐतिहासिक स्थान विजय विलास पैलेस महेल - Vijay Vilas Palace mehal
विजय विलास पैलेस मांडवी बीच से तकरीबन 8 किलोमीटर की दूरी पर जंगल के बीच में स्थित है। विजय विलास पैलेस तक पहुंचने का रास्ता बहुत सुंदर है। सन् 1920 में कच्छ के राजा "राव विजयरावजी" द्वारा गर्मी से बचने के लिए 692 एकड़ में विजय विलास पैलेस का निर्माण करवाया था जिसमें गुजरात और राजस्थान के कुशल कारीगरों ने काम किया था।
राजपूत शैली मैं घुंबध, बंगाली बुझो, नक्काशीदार जाली, तोरण, झरोखे, और भारतीय शैली का अद्भुत बेजोड़ नमूना है। फ्रेंच, पारसी, मुगलाई, कला की झलक देख सकते हो यह महेल के फर्श में चाइनीस मार्बल का यूज़ किया गया है।
इस महेल की भव्यता देखकर आसपास के सभी राजा महाराजाओं ने इस महेल की बहुत प्रशंसा की थी इसलिए यहां के राजाने खुश होकर सभी कारीगरों को एक पूरा गंगापुर गांव गिफ्ट में दिया था।
राजपूत शैली में बना सुंदर विजय विलास पैलेस की आसपास सुंदर बाग-बगीचे और पानी के फुव्वारे है। इस महल की खासियत यह हैं यहां पर आपको पंखे की जरूरत नहीं पड़ेगी। कच्छ की सबसे पहली लिफ्ट इस महेल में लगवाए गई थी।
विजय विलास पैलेस के अंदर आप जर्मन स्टाइल झूमर, इटली के कप, रकाबी, और प्लेट, वुडन आर्ट, और कांच की भव्य गैलरी, जंगली प्राणियों के सोफी मैं, बाघ चिता, हिरण, चिंकारा, सांभर, सोसिंगा, और अन्य जंगली प्राणियों के अवशेष दीवारों पर और सजा के रखे गए हैं।
विजय विलास पैलेस जाने का टाइम सुबह 9:00 से 1:00 तक दोपहर 3:00 बजे से शाम के 6:00 बजे तक का है।
टिकट की बात करें तो 11 साल के नीचे का ₹25 टिकट है 11 साल के ऊपर का ₹50 टिकट है। अगर आपको फोटोग्राफी का शौक है तो मोबाइल कैमरे का ₹25 टिकट है स्टील कैमरे का ₹50 और वीडियो शूटिंग कैमरा का ₹200 टिकट है
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Vijay Villash Palace Bhuj kutch |
6. पुरातात्विक स्थल धोलावीरा कच्छ - Archaeological Sites Dholavira In Kutch
धोलावीरा खदीर बेट( भासाउ ) क्षेत्र में स्थित सिंधुु घाटी सभ्यता का मुख्य शहरों में से एक है। धोलावीरा को मासर और मनहर दो नदी के मध्य में बसाया गया था।
धोलावीरा पुराने समय में मुख्य बंदरगाह का क्षेत्र था यहां से देश विदेशों में व्यापार का माध्यम था यहां के मनके मेसोपोटामिया में भी पाए गए हैं।
खंडहर देखकर ऐसा लगता है कि अपने समय में धोलावीरा काफी समृद्ध रहा होगा....
धोलावीरा जाना जाता था उच्च कोटि के वॉटर सप्लाई और सिविल इंजीनियरिंग के लिए जो आज भी उस जैसा निर्माण करना नामुमकिन लगता है।
धोलावीरा में आप पुरानी सभ्यता के अवशेष देख सकते हो उनकी उन्नत टेक्नोलॉजी और सिविल इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना है धोलावीरा
धोलावीरा नगर दो भागों में बांटा था उच्च कोर्ट और निचला भाग निचले भाग में मीडियम वर्ग के लोग और कृषि होती थी। पानी की व्यवस्था के लिए कहीं सारे अंडर वॉटर टैंक और अंडर वॉटर सप्लाई एक के बाद एक लगभग गई थी जो पहले कक्ष से ढलान के ऊपर आखरी कक्ष तक पानी पहुंच सकता था।
7. घुड़खर वन्यजीव अभयारण्य - Wild life Sentury Ghudkhar abhyaran (Wild Ass of kutch)
घुड़खर वन्य जीव अभ्यारण भारत का सबसे बड़ा अभ्यारण है घुड़खर अभ्यारण कच्छ के नाना रण में तकरीबन 5000 वर्ग किलोमीटर में फैला है। घुड़खर यानी के जंगली गधे, घुड़खर नाम घोड़ा और खच्चर ( घुड़ यानी घोड़ा + खच्चर यानी गधा) पर से रखा गया है।
यह अभ्यारण में दूर-दूर तक फैले बबूल के जंगल एक और सुखा बंजार रन और दलदली क्षेत्र के साथ कुछ जगहों पर बेट यानी कि आईलैंड्स भी है घास के मैदान नमक के खेत यानी के आगरिया और अभ्यारण के अंदर किसान के खेत यह नजारा बहुत अद्भुत है।
घुड़खर वन्य जीव अभ्यारण एशियाई जंगली गधों का आखरी आशियाना है। पूरे एशिया में जंगली गधे केवल कच्छ के नाना रण में पाए जाते हैं जो विलुप्त होने के कगार पर है।
घुड़खर वन्य जीव अभ्यारण में जंगली गधे के अलावा जंगली सूअर, नीलगाय, हरण, सिंकारा, लोमड़ी, हाइनास, और विदेशी मेहमान पक्षी के लाखों की संख्या में तादात है।
खूंखार वन्य जीव अभ्यारण दिन-ब-दिन सिकुड़ता जा रहा है। स्थानीय फार्मर और नमक के खेत की वजह से इस अभ्यारण में वन्य जीव को काफी तकलीफ पहुंचती है। इस अभ्यारण में तकरीबन जंगली गधों की तादात 4700 से अधिक हैं। जो अभी विलुप्त की कगार पर है।
8. कच्छ का दर्शनीय स्थल नारायण सरोवर - Narayan sarovar
नारायण सरोवर यानी कि भगवान श्री विष्णु नारायण का सरोवर, नारायण सरोवर लखपत क्षेत्र में स्थित है। इस क्षेत्र में सिंधु नदी का संगम समुद्र से होता है संगम स्थान पर स्थित है नारायण सरोवर, यहां पर कुल 5 पवित्र झील हैं झील के किनारे चारोंओर अलग-अलग देवी-देवताओं के मंदिर है। रणछोड़राय जी, द्वारिका नाथ जी, श्री त्रिकमराय जी, लक्ष्मी नारायण, गोवर्धन नाथ जी, श्री आदिनाथ जी, माता लक्ष्मी जी का मंदिर, और यहां पर इत्यादि मंदिर दर्शनीय हैं। इन सभी मंदिरों का निर्माण महाराजा श्री देसलजी की पत्नी (रानी) द्वारा करवाया गया था। नारायण सरोवर हिंदू धर्म में पवित्र सरोवर में से एक है।
नारायण सरोवर में कार्तिक की पूर्णिमा से 3 दिन का भव्य मेला होता है। सरोवर के आसपास किल्लेनुमा दीवार है। और इस झील में एक पगडंडी है और झील के किनारे पगथीये और घाट का निर्माण करवाया गया है।
नारायण सरोवर मैं देश विदेश से आई कई सारे मेहमानी पंछी ठहरते हैं। इसकी संख्या लाखों में होती है, जैसे कि फ्लैमिंगो,
9. कच्छ मैं घूमने लायक स्थान कच्छ म्यूजियम - Best Tourist Attraction Kutch museum
कच्छ म्यूजियम गुजरात का सबसे पुराना म्यूजियम है। इस म्यूजियम की स्थापना सन् 1877 मैं महाराजा खेंगारजी तृतीय द्वारा किया गया है।
इस म्यूजियम बनाने का मकसद था कि महाराजा खेंगारजी तृतीय की शादी में आए हुए गिफ्ट्स बहुत ज्यादा थे इसीलिए एक नवा भवन की जरूरत थी इसलिए इस म्यूजियम का निर्माण करवाया गया है। इस म्यूजियम की नीव बॉम्बे के गवर्नर सर जेम्स फर्ग्यूसन द्वारा रखी गई थी। इसलिए आजादी से पहले इस म्यूजियम को "फर्ग्यूसन म्यूजियम" कहां जाता था। आजादी के बाद इस म्यूजियम को कच्छ म्यूजियम नाम दिया गया है।
कच्छ म्यूजियम भुज सिटी के हमीरसर झील के किनारे स्थित है और यह म्यूजियम भारत का सबसे पहला ऑनलाइन म्यूजियम है जिसे 2010 में ऑनलाइन किया गया है
कच्छ म्यूजियम आज कच्छ प्रांत का इतिहास संस्कृति एवं सभ्यता बयां करता है।
इस म्यूजियम में आप कच्छ के विभिन्न चित्र, सिक्कों, कलात्मक नक्काशी, संगीत वाद्य, राजा महाराजाओं के पेंटिंग्स, अलग-अलग हस्तकला के डिजाइनिंग वाले ड्रेसेस, यहां के स्थानीय लोगों के गहने, ट्रेडिशनल ड्रेस, हथियार ढाल और यहां के अन्य समाज जैसे कि कोली आहीर रबारी पठान इत्यादि समाज के स्टैच्यू बनवाए गए हैं। म्यूजियम के बाहर गार्डन में कई सारे तोप और गोले रखे गए हैं।
10. कालो डूंगर - Black Hills ( megnitic hills )
काला डूंगर जाना चाहते है यहां की मैग्नेटिक हिल्स के लिए काला डूंगर पहुंचने से पहले रास्ते में मैग्नेटिक क्षेत्र आता है जहां पर वस्तुएं गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध दिशा में कार्य होता है। काले डूंगर के आसपास पूरा इलाका एकदम पहाड़ी क्षेत्र है। जो हरियाली से भरपूर है। काला डूंगर ऊपर तक पहुंचने के लिए आपको पैदल ही जाना होगा अगर आप रास्ते में उट या तो घोड़ा रेंट पर ले सकते हो जिस की फीस है 200 से ₹300 है। काला डूंगर के ऊपर का नजारा बहुत सुंदर है चारों ओर दूर-दूर तक हरियाली का प्राकृतिक सौंदर्य देख सकते है।
11. भारत का आखिरी स्थान लखपत किल्ला - Lakhpat Fort
लखपत यानी कि लखपतियों का शहेर हुआ करता था। आज लखपत शहेर एक छोटा सा कस्बा है। लखपत शहर जल परिवहन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण बंदरगाह था यहां से देश विदेशों में व्यापार होता था। जो आज किले की चारदीवारी में खंडार पड़ा है। लगभग 7 किलोमीटर लंबी दीवार है जो आज भी ज्यों की त्यों खड़ी है। लखपत किल्ला कच्छ के पर्यटन स्थल और इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
इस किल्ले की ऊपर से कुछ दूरी पर स्थित पाकिस्तान को भी देख सकते है।
सन 1819 इसवी में भूकंप के बाद इस शहर का पतन हो गया भूकंप के बाद सिंधु नदी का बहाव बदल गया इसीलिए इस शहर में अकाल पड़ा था।
यह पूरा क्षेत्र एक मरुस्थल है इस मरुस्थल में भारत-पाकिस्तान की सीमाएं मिलती हैं। मरुस्थलीय हवाओं के कारण रात्रि के समय आकाश का नजारा अद्भुत होता है। यह नजारा देखने के लिए आज भी यहां पर कई सारे पर्यटन आते हैं। यहां पर सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा देखने लायक होता है।
12. कोटेश्वर महादेव - koteshwar Mahadev
कोटेश्वर महादेव मंदिर नारायण सरोवर से तकरीबन 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कोटेश्वर मंदिर जो रावण की एक भूल के वजह से बनवाया गया है। यह मंदिर बहुत भव्य और इस मंदिर में बहुत बारीकी से शिल्पकारी करवाई गई है। कोटेश्वर महादेव मंदिर की तीनों तरफ समुद्र तट से एकदम करीब है।
कोटेश्वर महादेव मंदिर एक चट्टान की ढलान पर बना है यहां से आप समुद्र का अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य का नजारा देख सकते है। ठंडी हवा के साथ यहां पर सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा भी देख सकते है। यहां से कुछ ही दूरी पर पाकिस्तान का कराची शहर दिखाई देता है यहां आने के रास्ते में अक्षांश वृत रूट भी देख सकते है। और यहां पर भारत की आखरी बॉर्डर है इसके बाद पूरा इलाका दलदली क्षेत्र से भरा है।
कहां जाता है कि पहले के समय में यहां पर जैन साधुओं का निवास स्थान था यहां पर आप जैन गुफाएं लक्ष्मण गुफाएं थी।
"कच्छ भुज के अन्य पर्यटन स्थल"
• भुजडी (Bhujdi)
• माता नो मठ ( Mata No Math )
• अंजार शहेर ( Anjaar city)
• भुजियो फोर्ट ( Bhujiyo Fort )
• जैन देरासर
• जैसल तोरल समाधि
• कच्छ में कहां पर रुके - Where To Stay In Kutch
कच्छ गुजरात का मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है इसीलिए यहां पर आपको कहीं सारे होटल्स, रिसॉर्ट, रेस्टोरेंट्स, धर्मशाला, गेस्ट हाउस, होमस्टे, मिल जाएगी
अगर आप रण उत्सव में आते हो तो रण उत्सव फेस्टिवल मैं रुकने के लिए स्पेशल टेंट सिटी अवेलेबल है।
अन्यथा आपको कच्छ के लोकल ट्रेडिशनल हाउस और रिसोर्ट में रहने के लिए ग्रेट रन ऑफ कच्छ के आसपास के विस्तार के गांव में कच्छ के बूंगा स्टाइल वाले हाउस मिल जाएंगे।
अन्यथा आप भुज या तो अन्य सिटी में होटल में 1500 से ₹2000 में रूम मिल जाए
• कच्छ कैसे पहुंचे - How To Reach Kutch In Hindi
हवाई मार्ग :- कच्छ में पहुंचने के लिए यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा भुज हवाई क्षेत्र और कांडला हवाई क्षेत्र यहां का महत्वपूर्ण एयरपोर्ट है। दोनों एयरपोर्ट पर मुंबई से नियमत फाइट मिल जाएगी
रेलवे मार्ग :- यहां का सबसे नजदीकी जंक्शन गांधीधाम और भुज जंक्शन है। यह दोनों जंक्शन देश के अन्य बड़े शहरों के साथ अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं।
सड़क मार्ग :- कच्छ सड़क मार्ग के जरिए भारत के अन्य राज्योंं के अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। राज्य परिवहन और अन्य प्राइवेट लग्जरियस एवं वोल्वो बसें नियमित रूप से मिल जाएंगे
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शिमला पर्यटन स्थल के बारे में हिंदी में जानकारी
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Shimla Indian most bueatyfull tourist places |
अगर आप गुजरात आए और कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा.....